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इस प्रकति ने सभी जीवो की रचना की है
भूख की मांग के लिए सबको पेट दिया
और व्यवस्था भी की
कि हर कोई परिश्रम से अपना पेट भर सके
हैना...
और संसार के इन सारे जीवो में
केवल मनुष्य ही है
जिसने धन कि मुद्रा का अविष्कार किया
धन कामना सीखा
और
आश्चर्य की बात भी ये है
कि मनुष्य ही है
जो कभी अपना पेट नहीं भर पाया
क्यों ?
इसका कारण है लोभ |
इस संसार मैं कोई भी जिव हो
शाकाहारी या मांसाहारी
केवल उतना की शिकार करता है की वो जी सके
कुछ इक्कट्ठा नहीं करता
पर मनष्य
मनुस्य इक्कट्ठा करता रह जाता है ,
किन्तु ना अपने मन की भूख मिटा पाता है
ना ही अपने शरीर की
इसलिए यदि कुछ अर्जित करना है,
तो शुभ कर्म और नाम
अन्यथा
इस संसार से भूखे पेट जाना होगा
तो प्रेम से बोलो
राधे... राधे...