योग योग योगेश्वराय
भूत भूत भूतेश्वराय
काल काल कालेश्वराय
शिव शिव सर्वेश्वराय
शंभो शंभो महादेवाय
योगेश्वर
महादेव के असंख्य रूप हैं। सीधे-साधे भोलेनाथ से लेकर उग्र कालभैरव तक, सुंदर सोमसुंदर से ले कर भयानक अघोरशिव तक, वे सारी संभावनाओं को अपने भीतर समेटे हुए हैं। इनके पांच ऐसे बुनियादी रूप हैं, जिनके बारे में हर हिंदू को जानना चाहिए। इनके बारे में जानने और पढने से ही सभी अधूरे काम पूरे होने लगते हैं।
योग का अर्थ है भौतिक सीमाओं के बंधनों से आजाद होना। आपका प्रयास केवल भौतिकता पर महारत जासिल करना नहीं, पर इसकी सीमा को तोड़ते हुए, ऐसे आयाम को छूना है, जो भौतिक प्रकृति नहीं रखता। आप ऐसी दो चीज़ों को जोड़ना चाहते हैं – जिनमें एक सीमा में कैद तथा दूसरी असीम है। आप सीमाओं को अस्तित्व की असीम प्रकृति में विलीन करना चाहते हैं, इसलिए, योगेश्वराय।
भूतेश्वर-
यह सारी भौतिक सृष्टि – जिसे हम देख, सुन, सूंघ, छू व चख सकते हैं – यह देह, यह ग्रह, ब्रह्माण्ड, सब कुछ – यह सब कुछ पंच तत्वों का ही खेल है। केवल पंच तत्वों की मदद से कैसी अद्भुत शरारत – ये ‘सृष्टि’ रच दी गई है!
भूत भूत भूतेश्वराय का अर्थ है कि जो भी जीवन के पंच भूतों को साध लेता है, वह कम से कम भौतिक जगत में, अपने जीवन की नियति या भाग्य को तय कर सकता है।
कालेश्वर
कालेश्वतर काल – समय। भले ही आपने पांचों तत्त्वों को अपने बस में कर लिया हो, इस असीम के साथ एकाकार हो गए हों या आपने विलय को जान लिया हो – जब तक आप यहां हैं, समय चलता जा रहा है। समय को साधना, एक बिलकुल ही अलग आयाम है।
शिव-सर्वेश्वर-शंभो
शिव का अर्थ है, ‘जो है ही नहीं, जो विलीन हो गया।’ जो है ही नहीं, हर चीज़ का आधार नहीं, और वही असीम सर्वेश्वर है। शंभो केवल एक मार्ग और एक कुंजी है।
हिंदू जीवनशैली , में कैलाश को शिव का वास कहा गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि वह नाचते हुए या बर्फ में छिपे हुए वहां बैठे हैं। इसका मतलब है कि उन्होंने अपना ज्ञान वहां भर दिया। जब आदियोगी ने पाया कि हर सप्तऋषि ने ज्ञान के एक-एक पहलू को ग्रहण कर लिया है और उन्हें कोई ऐसा इंसान नहीं मिला, जो सातों आयामों को ग्रहण कर सके, तो उन्होंने अपने ज्ञान को कैलाश पर्वत पर रख देने का फैसला किया। ताकि योग के सभी सात आयाम, जीवन की प्रक्रिया को जानने के सातों आयाम एक ही जगह पर और एक ही स्रोत में सुरक्षित रहें। कैलाश धरती का सबसे बड़ा रहस्यमय पुस्तकालय बन गया – एक जीवित पुस्तकालय, सिर्फ जानकारी ही नहीं, बल्कि जीवंत!
काशी के बारे में प्रचलित कहानियां सौ फीसदी इस सिद्धांत पर आधारित हैं कि शिव स्वयं यहां वास करते थे। यह उनका शीतकालीन निवास था। इस बारे में बहुत सी कहानियां हैं कि किस तरह उन्होंने एक के बाद एक लोगों को काशी भेजा, मगर वे लौट कर नहीं आए, क्योंकि यह शहर इतना सम्मोहक और शानदार था।
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