विश्वकर्मा पूजा विधि | ऐसे करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा | Vishwakarma Puja Vidhi | Achuk Upay | This is how to worship Lord Vishwakarma.
भगवान विश्वकर्मा की पूजा इस विधि विधान से करनी चाहिए।
मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विश्वकर्मा पूजा करते हैं तो कुछ लोग इसे दीपावली के अगले दिन मनाते हैं।
भाद्रपद माह में विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाती है। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा निम्नलिखित विधि विधान से करनी चाहिए।
इस दिन प्रातः स्नान आदि करने के बाद पत्नी के साथ पूजा स्थान पर बैठे। इसके बाद विष्णु भगवान का ध्यान करनें के बाद हाथ में पुष्प, अक्षत लेकर,
ॐ आधार शक्तपे नम:, और ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:, कहकर चारों ओर अक्षत छिड़के और पीली सरसों लेकर चारों दिशाओं को बांधे।
इसके बाद, अपने हाथ में रक्षासूत्र बांधे तथा पत्नी को भी बांधे। पुष्प जल पात्र में छोड़े।
इसके बाद हृदय में भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें।
इसके बाद, रक्षा दीप जलाये, जल के साथ पुष्प एवं सुपारी लेकर संकल्प करें।
शुद्ध भूमि पर अष्टदल कमल बनाए।
इसके बाद, उस स्थान पर सात अनाज रखे।
उस पर मिट्टी और तांबे का जल डाले।
इसके बाद, पंचपल्लव, सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी, दक्षिणा कलश में डालकर कपड़े से कलश को ढक दें।
चावल से भरा पात्र समर्पित कर ऊपर विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति स्थापित करें और वरुण देव का आह्वान करें।
पुष्प चढ़ाकर कहें, हे विश्वकर्मा जी, इस मूर्ति में विराजिए और मेरी पूजा स्वीकार कीजिए।
पूजन के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों आदि की पूजा करें, इसके बाद, हवन यज्ञ करें, और भगवान विश्वकर्मा जी की आरती करे।
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